Monday, November 15, 2010

बाल दिवस किसी के लिए खास किसी के लिए बकवास..........
१४ नवम्बर बाल दिवस के रूप मैं मनाया जाता है.... इस दिन पंडित जवाहर लाल नेहरू जी का जन्मदिवस भी है जिसे बाल दिवस के रूप मैं मनाया जाता है... पंडित जी को बच्चो से बहुत प्यार था और वोह हमेशा बच्चो के चहरे पैर मुस्कान देखना चाहते थे...
ये तो वोह सपने थे जो हमारे देश के महापुरुष लोगो ने देखा था.....पर अब हम सच्चाई पर आते है....
और सच्चाई ये है की आज बाल दिवश किसी बच्चे के लिए खास है तो किसी बच्चे के लिए बकवाश है... कल मैं बाल दिवश के दिन जब रायपुर मैं घूम रहा था तो मुझे एक बच्चा जूस दुकान मैं मिल गया वोह वह भीक मांग रहा था मैं ने उससे पूछा बेटा तुम को मालूम है आज का दिन तुम्हारे लिए बहुत खाश है आज बाल दिवश है आज का दिन सारे बच्चो के लिए खाश होता है आज उनको इनाम मिलता है और सरे उनको प्यार करते है आज स्कूल मैं उनका सम्मान होता है आज खुद मुख्यमंत्री जी आप लोगो का सम्मान कर रहे है आप लोग तो किस्मत वाले है...आज का दिन तो बहुत खाश है वह बच्चा मेरी बात को सुनता रहा फिर मेरे को बोला ये दिन खाश नहीं है बकवाश है..... मैं ने उसकी इस राय का कारण जानना चाहा तो उसने कहा बोला हमें सम्मान नहीं हमें दो समय का खाना चाहिए हमें अच्छी शिक्षा चाहिए, हमें रहने के लिए छत चाहिए हमें सम्मान मैं प्रमाण पात्र नहीं चाहिए...
मैं ने उसकी बात सुना तो मुझहे लगा वह कोई गलत बात नहीं बोल रहा है न ही उसकी मांग गलत है... उसकी मांग भी उसके सामान बहुत छोटी सी और मासूम सी है उसे न ही लाखो रूपए चाहिए न उसे गाड़ी और बंगला चाहिए उसे वह चाहिए जिस पर उसका अधिकार है और वह उससे वंचित है....
आज सरकार को चाहिए की वह उन बच्चो की तरफ ध्यान दे ताकि उनका भविष्य भी उज्वल हो सके वह भी बचपन की सारी ख़ुशी महसूस कर सके जिन पर उनका हक़ है....मैं ने बाल श्रम स्कूल मैं एक प्रोग्राम मैं गया था मैं ने देखा वाला बहुत ही छोटे से गंदे से रूम मैं सरे बच्चे बैठे थे मैं ने उनसे पूछा की आप किस कक्षा मैं है तो किसी ने कहा मैं कक्षा पहली मैं हु तो किसी ने कहा मैं कक्षा पांचवी मैं हु तो मेरे को समझ मैं नहीं आया की आखिर एक ही कक्षा मैं सरे क्लास के बच्चे कैसे पद रहे थे क्या कक्षा पहली और कक्षा पांचवी का पाट्यक्रम एक ही होता है....
इस दिशा मैं सरकार का कोई ध्यान नहीं है जहा भारत का भविष्य टिका है.... बल्कि सरकार तो २ रूपए मैं चावल बाटने मैं लगी है ताकि उनका वोट बैंक बना रहे और लोग शराबी बने रहे ताकि उनकी सत्ता चलती रहे और लोग जागरूक न हो सके....
सरकार को चाहिए की वह इन बच्चो के उपर ध्यान ने उनको सही शिक्षा अच्छा खाना और अवाश प्रदान करे पर सरकार को सायद ये काम बेकार लगते है क्यों की बच्चे यदि शिक्षित हो जायेंगे और जागरूक हो जायेंगे तो सत्ता धारियों की दुकान बंद हो जायेगे.....
आज हम शहर मैं कोने कोने मैं बच्चो को जूते पोलिश करते, गुपचुप बेचते, चाय दुकान मैं , होटल मैं काम करते, भीख मंगाते देख सकते है ॥ पर सायद जो हमको दिखता है वह सरकार को नहीं दिखता क्यों की सरकार वही देखती है जो उसको देखना होता है पर हमें आम जनता को जागृत होना होगा तभी हम अपनी भावी पीठी के लिए एक अच्छा वातावरण तैयार कर पाएंगे...
अब समय आ गया है जब हमें सत्ता अपने(आम जनता) हाथ मैं लेनी होगी और सत्ता धारियों को उनके घर का रास्ता दिखाना होगा...
अब आम आदमी की आवाज से सुनामी आएगी॥
बड़े बड़े लोगो की सत्ता डोल जाएगी॥
अब ऐसा तूफान आएगा॥
भ्रस्ताचारियो को घर बैठायेगा॥

No comments:

Post a Comment