Sunday, November 14, 2010

राखी सावंत आखिर कब ख़त्म होगी फूहड़ता ...........
अभी कुछ दिन पहले ही मैं ने इमेजिन चैनल मैं एक प्रोग्राम देखा राखी सावंत का इन्शाफ़.....
जिस लड़की को बात करने का सलिखा नहीं आता आज वोह इंसाफ करने बैठी है इससे तो मुझहे कबीर जी का एक दोहा याद आता है .... "कहत कबीरा सुन भाई साधू ऐसा कलयुग आएगा हंस चुन्गेगा दाना और कंवा मोती खायेगा..."
ये दोहा राखी सावंत के प्रोगाम मैं पूरी तरह से फिट होता है...उसमें उसने एक बन्दे तो नामर्द कह कर सम्बोदिध किया है मैं पूछता हु क्या राखी सावंत कोई यंत्र लेके बैठी है क्या जो किसी मर्दानगी वोह बैठे बैठे जज कर लेती है.....
उस बन्दे की राखी सावंत ने नेशनल चैनल पैर इतनी बैज्जाती की की उस बन्दे ने आत्महत्या कर लेना जिन्दा रहने से ज्यादा बेहतर समझा.... इस आत्महत्या का जिम्मेदार आप किसे मानेगे राखी सावंत को, उस चैनल को जिसने अपनी टी र पी बदने के लिए इस तरह का प्रोग्राम बनाया या उस जनता को जो इस तरह के प्रोग्राम मैं तली बजा के उनको प्रोत्साहित करती है......
क्या भारत देश मैं सेंसर बोर्ड केवन फिल्म को नियंत्रित करने के बैठा है और टी वी चैनल वालो को छुट है की वोह जो चले कर ले भारत देश मैं उनका कोन क्या करलेगा.....
आज समय है जगाने का क्या की यदि इस को यही न रोका गया तो वह समय दूर नहीं जब टी.वी.चैनल वाले खुले आम किसी का भी मजाक उड़ाते रहेंगे और जनता और नेता मूक दर्शक बने देखते रहेंगे... क्यों की जनता कुछ कर नहीं सकती और नेता न्यूज़ चैनल के डर से कुछ करेंगे नहीं......
जागना हमें पड़ेगा हमें चाहिए की ऐसे प्रोग्राम और ऐसे चैनल का बहिस्कार करे ताकि उनको भी पता चल जाये की एक आम आदमी की ताकत क्या होती है यदि एक आम आदमी किसी को स्टार बना सकता है तो किसी को उसकी जगह दिखा भी सकता है........
बहुत हो गया अभी राखी का नखरा और बहुत हो गया अब चैनल की मन मानी......
इन सब परिस्तिधि को देख कर मेरे मन मैं कुछ पंक्ति आती है.....
" गया समय कुछ कर दिखने का, अब गया है समय अपनी ताकत बताने का...,
वह समझे हमें कमजोर तो गलती उनकी है, अब गया है समय उन्हें नींद से उठाने का....,
कर ली उन्हों ने बहुत मनमानी अपनी अब गया है समय उनको उनकी जगह दिखाने का.....,
उठे गी जब यलगार तो सुनामी आएगा, आम आदमी की दहाड़ से अब नेता भी डर जायेगा । ।

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